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कम्पोजिशन से कलाकार कर सकते है नए लोकगीत तैयार: सूचि
राज्य स्तरीय कार्यशाला में लोक धुन व लोक गीत बनाने के दिए टिप्स, कार्यशाला में कलाकारों करवाया प्रैक्टिकल कार्य
कुरुक्षेत्र 15 मार्च - कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय संगीत विभाग की अध्यक्षा प्रोफेसर सूचि स्मिता ने कहा कि कलाकार कम्पोजिशन से ही नए लोक गीत व लोक धुन तैयार कर सकते है। इसके लिए कलाकारों को साधना के साथ निरंतर अभ्यास करने की जरुरत है।
वे मंगलवार को मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर के सभागार में सूचना, जन सम्पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग की तरफ से आयोजित पांच दिवसीय ड्रामा पार्टी एवं आरसीटीओ ग्रुप रोहतक के कलाकारों की राज्य स्तरीय कार्यशाला के दूसरे दिन मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थी। उन्होंने कलाकारों से अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण होता है और हर व्यक्ति अपने अनुभव रखता है। इसलिए सभी को अपने जीवन के अनुभवों को संगीत और लोक गीतों में डालना चाहिए। सभी कलाकारों को अपना लक्ष्य निर्घारित करना चाहिए और इस लक्ष्य हासिल करने के लिए मेहनत करनी चाहिए। सभी कलाकार अच्छा काम कर सकते है।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में सेवानिवृत डीआईपीआरओ देव राज सिरोहीवाल ने कलाकारों को संबोधित करते हुए कहा कि श्रोताओं व दर्शकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए ही अपने लोक गीत व संगीत तैयार करना चाहिए। जब तक कलाकार दर्शकों को अपने संगीत के जादू के साथ नहीं जोड़ता तब तक सरकार की बात को आमजन तक नहीं पहुंचाया जा सकता है। कलाकार को सामाजिक दायित्व के साथ लोगों को मुख्यधारा के साथ जोडऩे का काम करना होगा और आमजन को प्रेरित करने का प्रयास करना होगा।
तीसरे सत्र में डीएवी पब्लिक स्कूल से संगीत के शिक्षक विकास ने नए लोक गीत व संगीत के साथ नई तकनीकी को जोडऩे के विषय पर बोलते हुए कहा कि सभी कलाकारों को कम्पोजिशन को संरक्षित करने का कामं करना होगा। कलाकार ही संस्कृति को बचा कर रख सकता है और कलाकार ही सही मायने में सूत्रदार का काम कर सकता है। संगीत प्यार, अहसास है तथा संगीत को समय की सकनीकी के साथ जोड़ कर रखना होगा।
जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी सुनील कुमार ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य स्तरीय कार्यशाला 18 मार्च तक जारी रहेगी। इस कार्यशाला के मंच का संचालन कार्यशाला के संयोजक एआईपीआरओ डा. नरेंद्र सिंह ने किया।
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